जी हां Cryptocurrency माया ही है। ‘मा’ अर्थात नहीं है ‘या’ अर्थात जो; अतः माया का अर्थ हुआ जो वास्तव में नहीं है। इस तरह से ही क्रिप्टोकरंसी का कोई दिखाई देने योग्य अस्तित्व ही नहीं है इसीलिए इसको माया कहना उचित होगा।
क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी शब्द कहना भी शायद उचित नहीं होगा क्योंकि करेंसी अर्थात मुद्रा, जैसे नोट आदि सरकारी संस्थाएं जैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सरकार के आदेशानुसार जारी करती हैं। इसी लिए प्रत्येक नोट के ऊपर यह लिखा रहता है कि मैं धारक को उस नोट पर लिखी गई वैल्यू के बराबर भुगतान का वचन देता हूं और यह वचन रिजर्व बैंक के गवर्नर का होता है जो सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कोई भी सरकार कितने नोट जारी करेगी, हर नोट का मूल्य कितना होगा आदि इसका निर्धारण सरकार के द्वारा निर्देशित संस्था जैसे भारत के केस में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है, करते हैं। जबकि इसके विपरीत क्रिप्टोकरेंसी कहां से जारी होती है, इसको कौन निर्देशित करता है अर्थात कौन इसको रेगुलेट करता है इस बारे में किसी को कोई भी पता नहीं है इसलिए इसकी वैधता पर शंका होना स्वाभाविक ही है।
क्रिप्टो का अर्थ है गोपनीय अर्थ या कोड भाषा में लिखा हुआ। क्रिप्टोकरंसी जगत में मुद्रा को “कॉइन” Coin कहा जाता है।कॉइन भी अपने आप में कुछ नहीं एक डिजिटल अथवा कंप्यूटर की भाषा में लिखा हुआ एक कोड ही होता है। जिसका कोई ऐसा अस्तित्व नहीं होता जिसको छुआ या देखा जा सकता हो। इस प्रकार यह केवल एक आभासी virtual मुद्रा मात्र है।
क्रिप्टोकरेंसी जारी करने वाली कंपनी कुछ विशेष प्रकार की बहुत मुश्किल इक्वेशंस जिन्हें क्रिप्टो करेंसी एल्गोरिदम कहा जाता है जारी करती है। यदि कोई यूजर उस एल्गोरिथम को सॉल्व कर लेता है तो बदले में उसे कुछ क्रिप्टो कॉइन पुरस्कार के रुप में मिल जाते हैं।
यानी कि अब यूजर इस क्रिप्टोकरेंसी को दो तरीके से हासिल कर सकता है; या तो वह बाजार से इन्हें खरीदें या फिर एल्गोरिथ्म को सॉल्व करें।
अब आप कल्पना करें कि बाजार में एक कॉइन की कीमत यदि 40 लाख रुपए है तो आप कोशिश करेंगे कि क्यों ना इन एल्गोरिदम को ही सॉल्व कर लिया जाए?
पर इन एल्गोरिदम को सॉल्व करना इतना आसान नहीं है इसको कोई सामान्य यूजर, सामान्य तरीके से सॉल्व नहीं कर सकता बल्कि इसके लिए बहुत ही उन्नत एडवांस्ड High End कंप्यूटर्स, जिनमें बहुत अधिक स्पीड के सीपीयू और बहुत अधिक मेमोरी व स्पीड वाले ग्राफिक कार्ड्स लगे हों, की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर के स्पेशल सॉफ्टवेयर की मदद से इन अल्गोरिदमस को सॉल्व करने की कोशिश की जाती है। और एल्गोरिथम को सॉल्व करके कॉइन हासिल करने को ही क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग कहा जाता है और माइनिंग करने वाले को माइनर कहा जाता है।
इस समय क्रिप्टो करेंसी को हासिल करने का जुनून इस हद तक बढ़ा हुआ है कि बाजार में ग्राफिक कार्ड्स की कमी हो गई है और जो हैं भी, उनके रेट बहुत अधिक बढ़ गए हैं।
जब कोई एक सिंगल यूजर अपने कंप्यूटर से माइनिंग करता है तो इसे इंडिविजुअल माइनिंग कहते हैं और जब बहुत सारे यूजर्स अपने सारे कंप्यूटर्स को एक साथ कनेक्ट करके उनकी सामूहिक ताकत का उपयोग करके इन एल्गोरिदम को सॉल्व करते हैं तो ऐसे माइनिंग को पूल माइनिंग कहा जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी के अंतर्गत लेनदेन का हिसाब रखने के लिए क्रिप्टो करेंसी का अपना खुद का एक सिस्टम है जिसको ब्लॉकचेन सिस्टम कहते हैं।
इस ब्लॉकचेन सिस्टम के अंतर्गत बहुत सारे कंप्यूटर्स, एक-दूसरे के साथ कनेक्ट होते हैं जिसको एक ब्लॉक कहा जाता है।
जब भी कोई व्यक्ति किसी प्रकार का लेन-देन करता है तो वह ट्रांजैक्शन ब्लॉक के हर कंप्यूटर से गुजरती है जहां इस लेनदेन को ऑथेंटिकेट अर्थात प्रमाणित किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति X किसी अन्य व्यक्ति Y को 10 कॉइन ट्रांसफर करता है तो ब्लॉकचेन में उपस्थित हर एक कंप्यूटर पर इस बात की सूचना जाती है।
प्रत्येक कंप्यूटर पहले तो इस बात को निश्चित करता है कि क्या X के पास 10 कॉइन हैं भी अथवा नहीं। उसके पश्चात यदि X के पास 10 या उससे अधिक कॉइन होते हैं तो वह ट्रांजैक्शन पास कर दी जाती है।
Y के खाते में 10 कॉइन जोड़ दिए जाते हैं और X के खाते में से 10 कॉइन घटा दिए जाते हैं जिससे X तथा Y , दोनों का बैलेंस अपडेट हो जाता है।
सारे ट्रांजैक्शन को ब्लॉक में उपस्थित सभी कंप्यूटर रिकॉर्ड करते हैं। यदि भविष्य में ब्लॉक के किसी कंप्यूटर में कोई प्रॉब्लम आ जाए या कोई हेराफेरी करने का प्रयास करें तो वह सफल नहीं होगा क्योंकि बाकी के कंप्यूटर पर उपस्थित डाटा उस कंप्यूटर के डाटा से भिन्न होगा और बाकी के कंप्यूटर इस बात को समझ जाएंगे कि किसी एक कंप्यूटर पर कोई गड़बड़ हो रही है।
यह लेखा जोखा रखने का काम भी माइनर ही करते हैं जिसके बदले उन्हें पुरस्कार के रुप में कंपनी कुछ क्रिप्टो कॉइन प्रदान करती है।
माइनिंग करते वक्त बहुत अधिक बिजली की आवश्यकता होती है और बहुत अधिक गर्मी पैदा होती है, तो आप खुद सोच सकते हैं कि इस बढ़ते हुए जनून के कारण ना केवल बिजली की आकस्मिक मांग बढ़ती है साथ ही प्रदूषण का खतरा भी बढ़ता ही है ।
क्रिप्टो करेंसी को अस्तित्व में आए हुए अधिक समय नहीं हुआ है इसका जन्म लगभग 2009 में हुआ जब बिटकॉइन नाम की संस्था ने इस तरह के करेंसी जारी करनी शुरू किया। उस समय इस कॉइन की कीमत लगभग ₹20 के पास थी जो आज सन 2021 में लगभग ₹45 लाख तक पहुंच गई।
इसी तरह कुछ और क्रिप्टोकरेंसी बाजार में उपलब्ध है जिनमें Shiba Inu, Bitcoin, Ether and Dogecoin मुख्य हैं।
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल एलन मस्क ने भी क्रिप्टो करेंसी में अपना इन्वेस्टमेंट स्वीकार किया था और अपने प्रोडक्ट्स की खरीद के लिए क्रिप्टो करेंसी को वैध मुद्रा घोषित किया था मस्क ने जब यह कहा कि उन्होंने Bitcoin, Ether and Dogecoin में अपना निवेश किया है तो उनकी इस घोषणा के बाद Dogecoin सहित कई क्रिप्टो करेंसी के रेट रातों-रात उछल रहे गए। और जब एलन मस्क नहीं है कहा वे अब अपने प्रोडक्ट के लिए क्रिप्टोकरंसी स्वीकार नहीं करेंगे तो Dogecoin के रेट रातो रात 17 परसेंट तक गिर गए।
इस माया मुद्रा की स्थिरता का हाल तो यह है की एक बार एलन मस्क ने एक छोटे से पप्पी के साथ अपना फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया तो शीबा इनु नाम की क्रिप्टोकरेंसी के रेट अचानक बहुत तेजी से उछल गए। क्योंकि शीबा इनु का लोगो logo एक पप्पी है; तो लोगों को लगा कि शायद एलन मस्क ने शीबा इनु में भी इन्वेस्टमेंट किया है। उसके पश्चात जब एक यूजर ने ट्विटर पर उनसे पूछा कि क्या उन्होंने शीबा इनु में इन्वेस्ट किया है एलन मस्क ने उत्तर दिया ‘नहीं’, उसके पश्चात शीबा इनु के रेट धड़ाम हो गए।
क्रिप्टो करेंसी के रेट बढ़ने और घटने का संबंध सीधा सा डिमांड-सप्लाई वाला रूल है।
हर कंपनी जो कॉइन जारी करती है इस बात को सुनिश्चित कर देती है की अधिकतम कितने कॉइन इशू किए जाएंगे जैसे बिटकॉइन ने यह घोषणा कर दी है कि कुल मिलाकर 21 मिलियन बिटकॉइन जारी किए जाएंगे जो अनुमानतः सन 2040 तक जारी हो जाएंगे।
अब माना बाजार में किसी कॉइन कंपनी के 5 लाख कॉइन हैं और खरीदने वालों की डिमांड 10 लाख कॉइन है, तो निश्चित रूप से इन कॉइन की कीमत बढ़ जाएगी।
इसके उलट यदि कॉइन को बेचने वालों की संख्या खरीदने वालों से ज्यादा है तो कॉइन के रेट घट जाएंगे।
इस तरह के लेनदेन के लिए विशेष तौर पर Cryptocurrency एक्सचेंज बने हुए हैं जिन्हें गूगल पर सर्च किया जा सकता है।
अब जहां तक बात भारत की है तो भारत के भी लगभग 10 करोड़ इन्वेस्टर्स ने क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट किया हुआ है। भारत सरकार द्वारा हालांकि क्रिप्टो करेंसी में कारोबार करना ban नहीं है फिर भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जो भी इन्वेस्टर इसमें इन्वेस्ट करेगा वह उसके जोखिम के लिए स्वयं ही जिम्मेदार होगा।
क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई भी रेगुलेटिंग अथॉरिटी नहीं है इसलिए सरकार को इसमें निवेश करने वाले लोगों के इन्वेस्टमेंट की भी चिंता है और साथ में इस बात की भी चिंता है कि यह धन जिसका कोई भी रिकॉर्ड कहीं भी नहीं रखा जाता अवैध कार्यों जैसे आतंकवाद की फंडिंग आदि में प्रयोग किया जा सकता है।
सरकार इस विषय में बहुत गंभीर है। अभी हाल में ही इस बात की चर्चाएं थी कि सरकार संसद सत्र में ऐसा बिल ला सकती है जिससे क्रिप्टोकरंसी पर बैन लग जाएगा। ऐसा ज्ञात होते ही क्रिप्टो करेंसी के रेट गिरने शुरू हो गए पर बाद में सरकार की ओर से इस ओर इशारा किया गया कि शायद इस करेंसी पर पूर्ण रूप से बैन नहीं लगेगा बल्कि इसको किसी रेगुलेटिंग अथॉरिटी जैसे भारतीय शेयर बाजार को संभालने वाली संस्था सेबी SEBI के अंतर्गत लाया जा सकता है, जहां इसकी ट्रेडिंग पर पूरा नियंत्रण व निगरानी करने का प्रयास किया जाएगा। पर अभी भी यह बात समझनी होगी कि यदि कोई कंपनी रातों-रात गायब हो जाती है या आपके क्रिप्टो कॉइन को कोई खरीदने वाला नहीं हो तो आपका सारा पैसा बर्बाद हो सकता है।
अभी इस बात की भी संभावना है कि सरकार खुद की डिजिटल करेंसी भी बाजार में ला सकती है। यहां यह समझना बहुत जरूरी है की डिजिटल करेंसी भी हालांकि क्रिप्टो करेंसी की तरह एक कंप्यूटर कोड ही होता है पर डिजिटल करेंसी को सरकार के आदेश से और सरकार के कंट्रोल में इशु किया जाता है जबकि क्रिप्टोकरंसी के विषय में यह दोनों ही चीजें गायब हैं जो इसे बहुत अधिक जोखिम भरा बनाती हैं।
इसलिए इस करेंसी में, “इन्वेस्ट कर, पर सोच कर।”