ज्योतिष कला है या विज्ञान है अध्यात्म या कुछ और ज्योतिष में कोई सूत्र है अभी अथवा नहीं ज्योतिष कोई निश्चित भविष्यवाणी कर भी सकती है अथवा नहीं इस बात पर चर्चा सदियों से चली आ रही है। विज्ञान जहां कहता है कि विज्ञान के अनुसार हर सूत्र हर समय स्थिर होता है जैसे A+B= C है तो हमेशा ऐसा ही होता रहेगा। जबकि
ज्योतिष के विषय में माना जाता है कि ज्योतिष में ऐसा कोई स्थिर और प्रमाणिक सूत्र संभवत नहीं है कि ऐसा होने पर अवश्य ही ऐसा होगा। यहां यह बात कहना गलत नहीं होगा कि विज्ञान निश्चय ही सूत्र पर आधारित है परन्तु उन सूत्रों के अलावा कई और भी शक्तियां हैं जो विज्ञान के साथ मिलकर काम करती हैं जिनके बिना विज्ञान अधूरा है।
उदाहरण के तौर पर चिकित्सा शास्त्र पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है। उसके निश्चित नियम और सूत्र है फिर भी आज तक किसी भी बीमारी का 100% इलाज संभव क्यों नहीं हुआ? ऐसा क्यों होता है की एक ही दवाई अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग समय में अलग-अलग रूप से प्रभाव कारी होती है?
ऐसा कई बार होता है कि एक योग्य शल्य चिकित्सक जिसने हजारों ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए हो उसका एक छोटा सा ऑपरेशन असफल हो जाता है जबकि सूत्र भी वही थे और चिकित्सक के औजार भी वही थे। इसका अर्थ है कोई ना कोई अन्य प्राकृतिक शक्ति अवश्य ही है जिनकी मदद से ही इन सूत्रों का सही प्रयोग किया जा सकता है अगर यह प्राकृतिक शक्तियां जिन्हें चाहे ईश्वर का नाम दें या किसी अन्य सुपर पावर का, सहयोग करें तभी ये सूत्र पूर्ण रूप से कामयाब होते हैं अथवा इनकी सफलता भी संदिग्ध रहती है।
इसी संदर्भ में ज्योतिष के सूत्रों के बारे में भी बात की जा सकती है । ज्योतिष में भी अपने समय के बड़े बड़े वैज्ञानिक जिन्हें ऋषि या मुनी कहा जाता था उन्होंने ब्रह्माण्ड में उपस्थित ग्रहों की शक्ति को अनुभव कर ज्योतिष के ऐसे सूत्रों की व्याख्या की जो निश्चित रूप से बिना किसी संशय के कारगर है परंतु उन्हें प्रयोग करने के लिए उचित अनुभव और प्राकृतिक ताकतों के साथ उचित सहयोग भी आवश्यक है।
जो ज्योतिषी पूर्ण आस्था और प्राकृतिक ताकतों के सहयोग से इन सूत्रों को प्रयोग करता है उसकी सफलता की संभावना अत्याधिक रूप से बढ़ जाती है परंतु वह हर बार 100% सफल होगा इस बात की आशा करना भी व्यर्थ है क्योंकि चिकित्सा व अन्य विज्ञान की भांति ज्योतिष की भी अपनी सीमाएं हैं।
अगर ज्योतिषी हर विषय में 100% भविष्यवाणी करने लगे तो वह स्वयं ही भगवान बन जाएगा और ऐसा होना सृष्टि के लिए भी उचित नहीं होगा। अतः ज्योतिष की सीमाओं को समझते हुए, उन सीमाओं के आन्तर्गत, अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है।
धन्यवाद