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दीपावली उत्सव नहीं महोत्सव

Deepawali and Panchtatwa 2020 :- संसार में दीपावली उत्सव की तरह नहीं महा-उत्सव की तरह मनाया जाता है। यह अकेला ऐसा पर्व है जब पांच महत्वपूर्ण त्यौहार- धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन, दीपावली तथा भाई दूज, पांच लगातार दिन उपस्थित होते हैं। पूज्य प्रभु श्री राम के अयोध्या में भव्य आगमन के अवसर पर इस उत्सव को मनाया जाता है।


इस उत्सव में पांच तत्वों का बहुत महत्व है। संपूर्ण जगत और सृष्टि पांच ही तत्वों से बने हैं; पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। इन सबको मिलाकर “पंचतत्व” का नाम दिया गया है। मानव शरीर, पेड़, पौधे, जानवर, सभी सजीव और निर्जीव इन्ही पांच तत्वों से बने हैं। अगर गौर से देखा जाए तो एक तरह से दीपावली इन पांच तत्वों का आव्हान और इनके प्रति कृतज्ञता का भाव ही है।


“पृथ्वी” तत्व के रूप में, मिट्टी का दीपक और उसमें समाई बाती, इस बात का द्योतक हैं कि जीवन ज्योति को संभालने वाला दीपक, वास्तव में धरती माता की कोख का ही स्वरुप है और बाती मनुष्य जीवन का।


मनुष्य धरती की गोद में बैठ कर ही कर्म करता है और उसके कर्मों का प्रकाश ही चहुँओर फैलता है। जिस प्रकार दीपक, बाती को संभालता है उसी प्रकार पृथ्वी माता भी हम बच्चों का भार बिना कोई अहसान दिखाए संभालती हैं।


दीपक की ज्योति “अग्नि” तत्व का कारक है। जब तक यह अग्नि प्रज्वलित है तभी तक व्यक्ति स्वयं तथा अपने आसपास के समाज को प्रकाशित करता रहता है। यह ज्योति इस बात को भी समझाती है कि ज्योति चाहे कितनी भी छोटी क्यों ना हो, उसमें भी अंधकार को मिटाने की क्षमता होती है। इसी प्रकार इंसान चाहे देखने में कितना भी छोटा हो, चाहे तो अनेकों जीवन में उजियारा कर सकता है।


दीपक की ज्योति अमर या अक्षुण्ण नहीं होती; उसे कभी न कभी बुझ ही जाना होता है। इसी प्रकार मानव जीवन को भी एक दिन समाप्त होना ही है अतः हो सके तो जाने से पहले बहुत से दीपक जला देने चाहिए जिससे खुद की ज्योति समाप्त होने के बाद भी दुनिया में उजियारा बना रहे।


निरंतर बहते रहने वाली हवा, “वायु” तत्व का द्योतक है।
वायु में ऑक्सीजन होती है ऑक्सीजन के बगैर ना तो इंसान जीवित रह सकता है और ना ही दिए की बाती जल सकती है। पर यही वायु अगर बहुत तेज हो जाए, अंधड़ में बदल जाए तो यही वायु, दिये की बाती को बुझा सकती है और मनुष्य को उठाकर एक जगह से दूसरी जगह पटक सकती है। मन की भावनाएं, इसी वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। अगर भावनाएं शांत और स्वच्छ हों तो जीवनदाई होती हैं अन्यथा विनाशकारी; स्वयं के लिए भी और संसार की लिए भी।

Deepawali and Panchtatwa – 2020


दीपक में उपस्थित तेल, “जल” तत्व को प्रदर्शित करता है। जब तक बाती तेल में डूबी रहती है तभी तक कर्मों का प्रकाश सम्भव है। अगर बाती तेल से बाहर आ जाए या तेल खत्म हो जाए तो बाती का अस्तित्व समाप्त…।


मनुष्य की जिम्मेदारियां ही उसकी जीवन का जल या तेल हैं। जब तक जीवन में जिम्मेदारियां हैं और मनुष्य ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों को निभाता रहता है तब तक दीपक की लौ, उसके कर्मों का प्रतिबिंब बनकर, खूबसूरती से टिमटिमाती रहती है। पर जब मनुष्य अपनी आवश्यक जिम्मेदारियों से मूँह मोड़ लेता है तो उसके जीवन का ‘प्रकाश’ समाप्त हो जाता है और मनुष्य जीवन का उद्देश्य धूमिल हो चलता है।


पांचवा और अंतिम तत्व है “आकाश”, जो निरंतर मनुष्य जीवन को उजियारा देता रहता है। दिन के समय सूर्य को अपनी गोद में बिठाकर और रात में चांद और तारों को अपने ह्रदय पर सजाकर…
यदि मात्र एक दिन के लिए भी प्रकाश समाप्त हो जाए तो मानव जीवन भी समाप्त और अंधियारा हो जाएगा।


दीपावली के दिन जब दीप प्रज्वलित किये जाते हैं तब मनुष्य, हाथ जोड़कर, कृतज्ञता के साथ, उस प्रकाश का अभिवादन, प्रकाश से करता है।

Deepawali and Panchtatwa

Deepawali and Panchtatwa:
आप सभी को दीपावली 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि ये पंचतत्व, दीपक की लौ सदा प्रकाशित करते रहें। मानव जीवन यह लौ, सार्थकता के साथ, स्वयं को भी प्रकाशित करे और जग को भी…सभी पंचतत्वों को पुनः पुनः नमन।

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